Shri Hanuman Chalisa (हनुमान चालीसा) का हिन्दू धर्म में बहुत ही बड़ा महत्व है. इससे पड़ने से आप जीवन में बहुत कुछ पा सकते हैं. किसी भी प्रकार की परेशानी से निजात पा सकते है.
वो कहते हैं न की ईश्वर की आराधना से सारे कष्ट दूर हो जाते है. मैंने अपने जीवन में भी ऐसे बहुत से चमत्कार देखें हैं. हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. हनुमान जी की पूजा करने से प्रभु श्रीराम भी प्रसन्न होते है.
जो लोग किसी मानसिक तनाव या फिर किसी अज्ञात भय की परेशानी से गुजर रहे होते हैं वे मंगलवार को हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करें, जल्द ही लाभ होगा.
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा मन को शांति मिलती है, नई ऊर्जा का एहसास होता है, साथ ही जिंदगी के दुख दूर होते हैं इनकी पूजा से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भी राहत मिलती है. हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ मन को शांति और बल प्रदान करता है.
Shri Hanuman Chalisa Lyrics
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।।
संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
हनुमान चालीसा – HANUMAN CHALISA IN HINDI (हिंदी अनुवाद)
सद्गुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ कर, श्रीराम के दोषरहित यश का वर्णन करता हूँ जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी चार फल देने वाला है। स्वयं को बुद्धिहीन जानते हुए, मैं पवनपुत्र श्रीहनुमान का स्मरण करता हूँ जो मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करेंगे और मेरे मन के दुखों का नाश करेंगे॥
- श्री हनुमान की जय हो जो ज्ञान और गुण के सागर हैं, तीनों लोकों में वानरों के ईश्वर के रूप मंक विद्यमान श्री हनुमान की जय हो॥ आप श्रीराम के दूत, अपरिमित शक्ति के धाम, श्री अंजनि के पुत्र और पवनपुत्र नाम से जाने जाते हैं॥
- आप महान वीर और बलवान हैं, वज्र के समान अंगों वाले, ख़राब बुद्धि दूर करके शुभ बुद्धि देने वाले हैं, आप स्वर्ण के समान रंग वाले, स्वच्छ और सुन्दर वेश वाले हैं, आपके कान में कुंडल शोभायमान हैं और आपके बाल घुंघराले हैं॥
- आप हाथ में वज्र (गदा) और ध्वजा धारण करते हैं, आपके कंधे पर मूंज का जनेऊ शोभा देता है, आप श्रीशिव के अंश और श्रीकेसरी के पुत्र हैं, आपके महान तेज और प्रताप की सारा जगत वंदना करता है॥
- आप विद्वान, गुणी और अत्यंत बुद्धिमान हैं, श्रीराम के कार्य करने के लिए सदैव उत्सुक रहते हैं, आप श्रीराम कथा सुनने के प्रेमी हैं और आप श्रीराम, श्रीसीताजी और श्रीलक्ष्मण के ह्रदय में बसते हैं॥
- आप सूक्ष्म रूप में श्रीसीताजी के दर्शन करते हैं, भयंकर रूप लेकर लंका का दहन करते हैं, विशाल रूप लेकर राक्षसों का नाश करते हैं और श्रीरामजी के कार्य में सहयोग करते हैं॥
- आपने संजीवनी बूटी लाकर श्रीलक्ष्मण की प्राण रक्षा की, श्रीराम आपको हर्ष से हृदय से लगाते हैं। श्रीराम आपकी बहुत प्रशंसा करते हैं और आपको श्रीभरत के समान अपना प्रिय भाई मानते हैं॥
- आपका यश हजार मुखों से गाने योग्य है, ऐसा कहकर श्रीराम आपको गले से लगाते हैं। सनक आदि ऋषि, ब्रह्मा आदि देव और मुनि, नारद, सरस्वती जी और शेष जी –
- यम, कुबेर आदि दिग्पाल भी आपके यश का वर्णन नहीं कर सकते हैं, फिर कवि और विद्वान कैसे उसका वर्णन कर सकते हैं। आपने सुग्रीव का उपकार करते हुए उनको श्रीराम से मिलवाया जिससे उनको राज्य प्राप्त हुआ॥
- आपकी युक्ति से विभीषण माना और उसने लंका का राज्य प्राप्त किया, यह सब संसार जानता है। आप दो हजार योजन दूर स्थित सूर्य को मीठा फल समझ कर खा लेते हैं॥
- प्रभु श्रीराम की अंगूठी को मुख में रखकर आपने समुद्र को लाँघ लिया, आपके लिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इस संसार के सारे कठिन कार्य आपकी कृपा से आसान हो जाते हैं॥
- श्रीराम तक पहुँचने के द्वार की आप सुरक्षा करते हैं, आपके आदेश के बिना वहाँ प्रवेश नहीं होता है, आपकी शरण में सब सुख सुलभ हैं, जब आप रक्षक हैं तब किससे डरने की जरुरत है॥
- अपने तेज को आप ही सँभाल सकते हैं, तीनों लोक आपकी ललकार से काँपते हैं। केवल आपका नाम सुनकर ही भूत और पिशाच पास नहीं आते हैं॥
- महावीर श्री हनुमान जी का निरंतर नाम जप करने से रोगों का नाश होता है और वे सारी पीड़ा को नष्ट कर देते हैं। जो श्री हनुमान जी का मन, कर्म और वचन से स्मरण करता है, वे उसकी सभी संकटों से रक्षा करते हैं॥
- सबसे परे, श्रीराम तपस्वी राजा हैं, आप उनके सभी कार्य बना देते हैं। उनसे कोई भी इच्छा रखने वाले, सभी लोग अनंत जीवन का फल प्राप्त करते हैं॥
- आपका प्रताप चारों युगों में विद्यमान रहता है, आपका प्रकाश सारे जगत में प्रसिद्ध है। आप साधु- संतों की रक्षा करने वाले, असुरों का विनाश करने वाले और श्रीराम के प्रिय हैं॥
- आप आठ सिद्धि और नौ निधियों के देने वाले हैं, आपको ऐसा वरदान माता सीताजी ने दिया है। आपके पास श्रीराम नाम का रसायन है, आप सदा श्रीराम के सेवक बने रहें॥
- आपके स्मरण से जन्म- जन्मान्तर के दुःख भूल कर भक्त श्रीराम को प्राप्त करता है और अंतिम समय में श्रीराम धाम में जाता है और वहाँ जन्म लेकर हरि का भक्त कहलाता है॥
- दूसरे देवताओं को मन में न रखते हुए, श्री हनुमान से ही सभी सुखों की प्राप्ति हो जाती है। जो महावीर श्रीहनुमान जी का नाम स्मरण करता है, उसके संकटों का नाश हो जाता है और सारी पीड़ा ख़त्म हो जाती है॥
- भक्तों की रक्षा करने वाले श्री हनुमान की जय हो, जय हो, जय हो, आप मुझ पर गुरु की तरह कृपा करें। जो कोई इसका सौ बार पाठ करता है वह जन्म-मृत्यु के बंधन से छूटकर महासुख को प्राप्त करता है॥
- जो इस श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) को पढ़ता है उसको सिद्धि प्राप्त होती है इस बात के साक्षी श्री शंकर भगवान हैं। श्री तुलसीदास जी कहते हैं, मैं सदा श्रीराम का सेवक हूँ, हे स्वामी! आप मेरे हृदय में निवास कीजिये॥
पवनपुत्र, संकटमोचन, मंगलमूर्ति श्री हनुमान आप देवताओं के ईश्वर श्रीराम, श्रीसीता जी और श्रीलक्ष्मण के साथ मेरे हृदय में निवास कीजिये॥
जय श्री राम